आँसुओं का ज़लज़ला अच्छा लगा

आँसुओं का ज़लज़ला अच्छा लगा तपती आँखों को छुआ, अच्छा लगा   वो हमारे बीच रहकर भी न था आईने का टूटना अच्छा लगा   अब के सावन में भी जाने क्यों हमें बादलों का रूठना अच्छा लगा   उस निपट तनहा चटकती धूप में नीम का इक पेड़ था, अच्छा लगा   आँधियों के … Continue reading आँसुओं का ज़लज़ला अच्छा लगा